प्रत्येक रोगी अलग होता है, और चिकित्सक और रोगी को एक-दूसरे की अपेक्षाओं को समझने, जोखिमों और लाभों को तौलने और आपसी निर्णय पर पहुंचने की आवश्यकता होती है।
बाथरूम में कम समय : एक शोध में बताया गया है कि बवासीर के रोगी शौचालय में अधिक समय बिताते हैं और उन्हें अधिक जोर लगाना पड़ता है। उपयुक्त शौच की आदतें हैं : शौच के दौरान तीन मिनट
कम फाइबर आहार, कब्ज, पुरानी दस्त, गर्भावस्था
बवासीर का सबसे अच्छा आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
बैठने या चलने में अधिक परेशानी नहीं होती।
गुदा मैथुन (एनल सेक्स): एनल सेक्स एक नए प्रकार के बवासीर को पैदा कर सकता है। इससे पुराना बवासीर अधिक मात्रा में फैल सकता है।
मस्सों को साफ और सूखा रखें, हर मल त्याग के बाद अच्छे से गुदा की सफाई करें।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से बवासीर को नियंत्रित करने के लिए नियमित दिनचर्या का पालन करें।
अर्जुन की छाल को पानी में उबालें और इसे दिन में दो बार पिएं।
नारियल की जटाओं को जलाकर राख या भस्म बना लें। इसे ताजे मट्ठे में मिलाकर सुबह खाली पेट नियमित रूप से पिएं।
पाइल्स में ऐलोवेरा जेल लगाने से जलन और दर्द से राहत मिलती है और हीलिंग तेज होती है.
आंतरिक बवासीर : जब मलाशय के अंदर सूजी हुई रक्त वाहिकाएं बन जाती हैं
बैठने का जोखिम: लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से बवासीर की शिकायत हो सकती website है। इस समस्या को विशेष रूप से ड्राइविंग, सिलाई और आईटी पेशे वाले लोगों के साथ देखा जाता है।
लेकिन इसे हमेशा पानी में मिलाकर इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि स्किन पर जलन न हो.